गोरखनाथ वशीकरण मंत्र साधना

गोरखनाथ वशीकरण मंत्र साधना

गोरखनाथ वशीकरण मंत्र साधना

गोरखनाथ जी महाराज ११वीं से १२वीं शताब्दी के नाथ योगी थे ।  उन्होंने नाथ संप्रदाय के बिखराव और उसकी योग विधाओं का एकत्रीकरण किया । गुरु गोरखनाथ जी को तिब्बती बोद्ध धर्म में महासिद्धों के रूप में जाना जाता है । उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की । गोरखनाथ का मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर में स्थित है । उन्हीं के नाम पर इस जिलें का नाम गोरखपुर पड़ा । नेपाल के गोरख जिलें में एक गुफा है जहाँ गोरखनाथ जी का पग चिन्ह है और उनकी एक मूर्ति भी है । यहाँ हर साल  वैशाख पूर्णिमा को एक मेला लगता  है । जिसे ‘रोट महोत्सव’  कहते है जिसके कारन यहाँ प्रतिवर्ष मेले का आयोजन भी होता है| भारत में भी गोरखनाथ जी को महान सिद्धों की श्रेणी में रखा गया हैं जिसके चलते महाराष्ट्र के दक्षिण में स्थित पश्चिमी घाट में एक पूरी पर्वत श्रृंखला उनके नाम पर है , क्योंकि लोगों का मानना है कि वे  एक  पर्वत  की तरह ही है । पुरे उपमहादीप में गोरखनाथ जी ने असाधारण काम किया और आज भी उनके अनुयायियों को , जो काम किया और आज भी उनके अनुयायी बड़े प्रचंड और तीव्र लोग होते हैं  , ऐसे अनुयायिओं  को गोरखनाथी कहा जाता है ।

गोरखनाथ वशीकरण मंत्र साधना
गोरखनाथ वशीकरण मंत्र साधना

तंत्र विद्या योग का सबसे निम्न रूप है , लेकिन लोग सबसे पहले यही करना चाहते  हैं । वे खुद इसे देखना या करना चाहते हैं, जो कोई दूसरा  नहीं कर सकता । गुरु गोरखनाथ ने कई मन्त्रों का निर्माण किया है ।

गुरु गोरखनाथ साधना मन्त्र विधि उसका प्रयोग

“ॐ गुरूजी, संत नमः आदेश। सत गुरूजी को आदेश। ॐ कारे शिव रुपी, मध्याह्ने हंस – रुपी, सन्ध्यायां साधू – रुपी। हंस, परमहंस दो अक्षर। गुरु तो गोरक्ष, काया तो गायत्री। ॐ ब्रह्म, सोऽहं शक्ति, शून्य माता, अवगत पिता, विहंगम जात, अभय पंथ, सूक्ष्म-वेद, असंख्य शाखा, अनंत प्रवर, निरंजन गोत्र, त्रिकुटी क्षेत्र, जुगति जोग, जल स्वरूप, रूद्र-वर्ण। सर्व देव ध्यायते। आये श्री शम्भू-जाति गुरु गोरखनाथ। ॐ सोऽहं तत्पुरुषाय विद्महे शिव गोरक्षाय धीमहि तन्नो गोराक्षः प्रचोदयात। ॐ गोरख – गायत्री – जाप सम्पूर्ण भया। गंगा गोदावरी त्र्यम्बक-क्षेत्र कोलांचल अनुपान शिला पर सिद्धासन बैठ। नाव-नाथ, चौरासी सिद्ध, अनंत-कोटि-सिद्ध-मध्ये श्री शम्भू-जाति गुरु गोरखनाथ जी काठ पढ़, जप के सुनाया। सिद्धो गुरुवरो, आदेश-आदेश। ”

मंत्र साधन विधि व् प्रयोग

प्रतिदिन गोरखनाथ जी की प्रतिमा का पंचोपचार से पूजनकर २१, २७,५१ या १०८ जप करें नित्य जप से गोरखनाथ जी की कृपा प्राप्त होगी, जिससे साधक व उसका परिवार सदा सुखी रहता है। बाधाएँ स्वतः दूर हो जाता है। सुख संपत्ति में वृद्धि होती है और अंत में परम पद प्राप्त होता है।

गोरखनाथ जी के प्रसिद्ध मन्त्रों में सबसे ज्यादा प्रचलित गुरु गोरखनाथ शाबर मन्त्र है। शाबर का अर्थ है – ‘ग्राम्य तथा अपरिष्कृत’। शाबर मन्त्र तंत्र विद्या के क्षेत्र से जुड़े हुए है, इसलिए इन्हें तंत्र की ग्राम्य-शाखा माना जाता है। इस मन्त्र के प्रवर्तक मूल रूप से भगवान शिव हैं। लेकिन इन्हें आगे ले जाने वाले शिव भक्त थे – ‘गुरु गोरखनाथ’ तथा उनके गुरु ‘गुरु मछन्दर नाथ’ । गुरु गोरखनाथ जी का शाबर मन्त्र किसी भी तरह के वशीकरण प्रयोजन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। शाबर मन्त्र द्वारा हर समस्या का हल निकाला जा सकता है। गोरखनाथ जी का शाबर मन्त्र प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार की सिद्धि हासिल करने की कोई ज़रुरत नहीं है, शाबर मन्त्रों को किसी भी सीधे उद्देश्य के लिए उपयोग किया जा सकता है। शाबर मन्त्र दिव्य शक्तियों से सिद्ध होते हैं। इनका उच्चारण स्त्री, पुरुष, बच्चे तथा बुजुर्ग हर उम्र के व्यक्ति कर सकते हैं। ये मन्त्र हर उम्र के व्यक्ति के लिए बहुत ही लाभदायक और उपयोगी है।

शाबर मन्त्रों का प्रयोग करने के लिए साधक को किसी भी विद्वान की तथा गुरु की सहायता लेने की आवश्यकता नहीं होती। वह इसका प्रयोग स्वयं कर सकता है। इस मन्त्र का जाप करने के लिए किसी को उपवास रखने की, हवन, पूजा करने की आवश्यकता नहीं होती। इसका जाप करने से व्यक्ति के जीवन के सभी संकट मिट जाते हैं। शाबर मन्त्र में बोल-चाल की भाषा का ही प्रयोग किया गया है। इन मन्त्रों में प्राचीन समय की संस्कृत, प्राकृत और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रयोग की जाने वाली भाषाएँ समाहित हैं। कुछ शाबर मन्त्रों में कन्नड़, गुजराती, बंगाली और तमिल भाषा  का प्रयोग किया गया है। अधिकत्तर शाबर मन्त्रों की रचना हिंदी भाषा में हुई है।

शाबर मन्त्र का जाप लाल या सफ़ेद आसन पर किया जाना चाहिए। शाबर मन्त्र सरल है क्योंकि इसमें अन्य शास्त्रीय मन्त्रों के समान ‘षडङ्ग’ – ऋषि, छंद, बीज, शक्ति, कीलक आदि की योजना देवता को प्रसन्न करने के लिए अलग से नहीं करनी पड़ती। बल्कि इन सभी का वर्णन शाबर मन्त्रों में ही समाहित रहता है। इसलिए हर शाबर मन्त्र को पूर्ण तथा सिद्ध माना जाता है। शाबर मन्त्रों में ‘आन और शाप’ तथा ‘श्रद्धा और धमकी’ दोनों का प्रयोग किया जाता है। साधक याचक होता हुआ भी देवता को सब कुछ कहने का सामर्थ्य रखता है और उसी से सब कुछ करना चाहता है। विशेष बात यह है कि उसकी यह ‘आन’ भी फलदायी होती है। ‘आन’ अर्थात ‘सौगंध’ ।

गोरखनाथ जी का शक्तिशाली शाबर मन्त्र व उसके प्रयोग की विधि निम्नलिखित है। मन्त्र है :

“ॐ नमो महादेवी सर्वकार्य सिद्धकर्णी जो पाती पुरे—– ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवता मेरी भक्ति गुरु की—– शक्ति श्री गुरु गोरखनाथ की दुहाई फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा——”

प्रयोग विधि :

यदि आप चाहते हैं कि सभी कोई आपके वश में रहें या कहें कि हर कोई आपकी बातों को महत्व दे। आपकी उपेक्षा करने के बारे में सोचे भी नहीं, तो गोरखनाथ जी द्वारा रचित ‘त्रैलोक्य वशीकरण मन्त्र’ का विधि-विधान से १०८ बार जप करने से लाभ मिलता है। इस मन्त्र का जाप रात में करने के शुभ परिणाम आते हैं। इसकी साधना की कोई विशिष्ट शर्त नहीं।

गुरु गोरखनाथ के शाबर मन्त्र के विषय में कुछ विशेष बातें :

१. रोज़मर्रा की ज़िन्दगी की सभी तरह की समस्याओं का निदान गुरु गोरखनाथ के शाबर मन्त्र से सकारात्मक उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए, न कि किसी को नुक्सान पहुंचाने के लिए।

२. इनके अधिकत्तर मन्त्रों की साधना के लिए किसी गुरु की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन षट्कर्म की साधना के लिए सिद्ध गुरु के मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।

 

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