माँ कामाख्या वशीकरण तंत्र साधना

माँ कामाख्या वशीकरण तंत्र साधना

माँ कामाख्या वशीकरण तंत्र साधना

असम में गोहाटी से 8 किलोमीटर दूर कामाख्या नगरी है| कामाख्या से भी लगभग 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर कामख्या मंदिर स्थापित है| यह मंदिर प्रारंभ से ही तंत्र साधना का केंद्र रहा है| मान्यता है कि यहाँ सती का ‘योनि’ भाग गिरा था| इसलिए यह जाग्रत शक्ति पीठ में से एक माना जाता है| आज से कुछ वर्ष पहले तक लोग यह मानते थे कि कामाख्या में जोगिने वास करतीं है| अगर कोई अजनबी नगर में प्रवेश करता है तो उसे भेड़ा बनाकर आपना पालतू बना लेती हैं| एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार महान तंत्र गुरु मत्स्येन्द्र नाथ इन जोगिनों के वश में हो गए| काफी दिनों तक उनकी कोई खबर नहीं  मिली तो उनके शिष्य गोरखनाथ ने योगबल से पता लगा लिया कि वे कहाँ है| वह भेष बदलकर मत्स्येन्द्र नाथ के पास पहुंचे| वह भेड़ा बन चुके थे| गोरखनाथ ने तीन बार कहा – जाग मछेन्दर गोरख आया!  इतना सुनते ही जोगिनो का सम्मोहन टूट गया और मत्स्येन्द्र नाथ अपने पूर्व रूप में आ गए| इस डर से कई लोग नौकरी के लिए भी कामाख्या नहीं जाते थे| समय बदला लोगों की धारणा बदली लेकिन यह इस सत्य से कोई इनकार नहीं कर सकता कि आज भी यहाँ हो रही तांत्रिक क्रियाओं को को कोई भी आधी रात को जाकर देख सकता है| लेकिन अगर उसे अपने जान की परवाह है तो ऐसी गलती न करे तो ही बेहतर है| देवी कामाख्या में तीनों देवी की शक्ति समाहित है| अतः देवी की साधना से जीवन की सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं|

माँ कामाख्या वशीकरण तंत्र साधना
माँ कामाख्या वशीकरण तंत्र साधना

माँ कामाख्या वशीकरण मंत्र

तंत्र मार्ग में वशीकरण और सम्मोहन का अत्यधिक महत्त्व है| यह अपने आप में एक अद्भुत सी शक्ति है| यदि इसका कोई गलत नियत से उपयोग करे तो अंततः परिणाम भी वही भुगतता है| फिर भी सकारात्मक अभीष्ट हेतु यह क्रिया न्यायसम्मत भी है|

यदि किसी को वश में करना हो तो कामाख्या देवी की साधना अत्यंत कारगर है| बशर्ते कि इसे सही तरीके से और उचित कारण से किया जाए| इस प्रयोग के लिए आधी रात का समय चुनें| एकांत कक्ष में किसी पीठिका पर लाल कपड़ा बिछा दें| उस पर देवी कामाख्या की तस्वीर रखें| प्रथमतः पंचोपचार विधि से पूजा करें| पुनः हाथ में जल लेकर सवा लाख मंत्र जाप का संकल्प लें| संकल्प लेते समय अपना नाम जिसका वशीकरण करना हो उसका नाम, उद्देश्य आदि बोलकर उच्चारित करें| यदि संकल्प के समय मन में भावना आए कि यह उचित नहीं है तत्क्षण इरादा बदल दें| देवी से क्षमा मांग लें| मान्यता है कि वशीकरण से साधना का क्षय होता है, इसके अलावा संकल्प के समय ‘नहीं करना चाहिए’ जैसी भावना देवी की उत्प्रेरणा से आती है| अतः इसे नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए| यदि ऐसा कुछ नहीं हो, तो मंत्र जाप प्रारम्भ कर सकते हैं|

ओम नमो कामाख्या देव्यै अमुक(जिस व्यक्ति का वशीकारण करना हो उसका नाम) मम वश्य कुरु स्वाहा|

जाप करते समय जिस व्यक्ति का वशीकरण करना हो उसका चित्र देवी के सम्मुख रखें| चित्र न हो तो उसकी आकृति लाल कलम से बना लें| यदि आकृति न बना सकें तो उसका नाम लाल कलम से लिख लें| जाप के समय निरंतर उसी का ध्यान करें| जाप समाप्ति के बाद हवन करें व एक सौ आठ आहुतियाँ डालें| जाप के बाद पूजन सामग्री यथा फूल, जल, प्रसाद संभाल कर रखें| जैसे ही वह सामने आए ग्यारह बार वह मंत्र जाप कर प्रसाद खिला दें अथवा जल छिडक दें अथवा वह पुष्प उसके किताबों में या कपड़ों में छिपा दें| वह आपसे सम्मोहित हो जाएगा|

कामाख्या वशीकरण साधना/शाबर मंत्र

कामाख्या वशीकरण साधना करने से साधक मुक्ति को प्राप्त करता है| यह मुक्ति चार प्रकार की होती है| पहला प्रकार सालोक्य कहलाता है| इसमें साधक देवताओं के लोक में विचरने योग्य बन जाता है| दूसरा प्राकार है सारुप्य| इस स्तर पर साधक में ईश्वरीय अंश आ जाता है| तृतीय प्रकार है सायुज्य| इस स्तर पर साधक देव कला के साथ तालमेल स्थापित कर लेता है| मुक्ति का चौथा स्वरूप है निर्वाण| इसे अनिर्वचनीय कहा गया है| यह मोक्ष की अंतिम अवस्था है| जिसने महसूस किया वह बता नहीं सकता| इसकी तुलना गूंगे के मुंह में गुड से की जाती है| यह साधना किसी योग्य गुरु के मार्ग निर्देशन में ही करना चाहिए| क्योंकि साधना के बीच में अलग अलग अनुभूतियाँ होती है जिससे नव साधक आतंकित हो जाते है| डरते ही साधना भंग हो जाती है तथा भाबी अहित से भी इनकार नहीं किया जा सकता| अतएव सर्वप्रथम योग्य गुरु की तलाश करें| नीचे कामाख्या देवी के कुछ मंत्र दिए जा रहे हैं| यह एक लम्बी साधना है जिसके पहले चरण में देवी को प्रसन्न किया जाता है |

कामाख्या मंत्र : कामाख्या वरदेदेवी निल्पर्वत्व्सिनी, त्वं देवी जगतं मतर्यो निमुद्रे नमोस्तुते|

उक्त मंत्र के द्वारा देवी को प्रसन्न किया जा सकता है| इसके बाद वशीकरण मंत्र साधना करें|

वशीकरण मंत्र पहले उपाय में दिया जा चुका है| इस मंत्र के लक्षित जाप के उपरान्त कामाख्या प्रणाम मंत्र का जाप भी अवश्य करें| वह मंत्र इस प्रकार है –

‘कामाख्या काम सम्पन्ने कामेश्वरी हरि प्रिये| काम्नाम देहिमें नित्येम कामेश्वरी नमोस्तुते|’

कामख्या सिन्दूर से वशीकरण

एक साधारण सांसारिक जीवन जीने वाले मनुष्य के लिए उपर्युक्त साधना दुष्कर हो सकती है| और यह सत्य भी है कि ऐसी साधना करने वाले अन्तः दुनियादारी से विमुख हो ही जाते है| सांसारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए कुछ कामनाओं की पूर्ति हेतु कामाख्या सिन्दूर का उपयोग किया जा सकता है| कामाख्या मंदिर से देवी को अर्पित सिन्दूर लेकर आ जाएं| अब इसका अलग अलग उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है| उदाहरण के लिए –

  • इस सिन्दूर को मात्र घर में रखने से धन की कमी नहीं होती|
  • किसी का वशीकरण करना हो तो नवरात्रि के अवसर पर हाथ में यह सिन्दूर लेकर ग्यारह बार वशीकरण मंत्र पढ़े और जिसका वशीकरण करना हो उसे तिलक कर दें|
  • अगर घर में किसी तांत्रिक प्रयोग की आशंका हो तो चुटकी भर कामाख्या सिन्दूर घर के चारों कोनो पर छिड़क दें|

 

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